पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने सन 1950 में इलाहाबाद विश्विद्यालय से MA के लिये पंजीकरण कराया । इलाहाबाद तत्कालीन भारत का एक प्रमुख शहर था। उस वक़्त इसे "पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड" कहा जाता था। शहर कई बड़े बुद्धिजीवियों और नेताओं का गढ़ हुआ करता था। शहर के कई साहित्यिकार और विद्वान देश दुनिया मे बिख्यात थे।
उस जमाने मे परास्नातक की परीक्षा में लिखित परीक्षा के साथ मौखिक परीक्षा/वाइवा भी शामिल था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के प्रो. तालुकेदार और इलाहाबाद विश्विद्यालय के प्रो. लाल को वाइवा के लिए नियुक्त किया गया जिनके अंतर्गत चंद्रशेखर को अपना वाइवा देना था।
Ex Pm Chandra Shekhar |
परीक्षार्थियों के तनाव और घबराहट को शांत करने और उन्हें आरामदायक स्थिति में लाने के लिए प्रो. लाल सामान्यतया अनौपचारिक प्रश्नों से शुरुवात करते थे और फिर बाद में मुख्य विषय पर आते थे।
चंद्रशेखर जी ने अपने वाइवा की शुरुवात का अनुभव कुछ यूं बयां किया है;
प्रो. लाल:- मिस्टर चंद्रशेखर आप कहां से है?
चंद्रशेखर:- मैं बलिया से हूं श्रीमान।
प्रो. तालुकेदार (तेज आवाज में):- वो कुख्यात (Notorious) बलिया से?
चंद्रशेखर (वैसी ही तेज आवाज में):- कुख्यात नहीं विख्यात बलिया से श्रीमान।
प्रो. तालुकेदार(थोड़ा फ्रस्ट्रेटेड होकर):- कुख्यात से मेरा मतलब अंग्रेजों को नजर में।
चंद्रशेखर :- महोदय शायद आपको पता होगा हिंदुस्तान अब अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम नहीं है।
माहौल एक एकदम तनावपूर्ण। प्रो. लाल ने स्थिति को भांपते हुए मामला अपने हाथ लिया और चंद्रशेखर से एक दो और प्रश्न पूँछकरविषय के प्रश्न पूछने शरू किये।
#स्रोत_चंद्रशेखर_दिलास्टआइकॉनऑफ_आईडियोलॉजिकलपॉलिटिक्स
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