भारत सरकार के 20 लाख करोड़ के कोरोना राहत पैकेज की हकीकत और सरकार की आर्थिक स्थिति का जायजा !

दुनिया कोविड 19 बीमारी के खिलाफ एक अप्रत्याशित युद्ध लड़ रही है। अभी तक पूरी दुनिया में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 42 लाख पार कर चुकी है। 3 लाख के करीब लोग इस बीमारी से मारे जा चुके है। पूरा विश्व किसी न किसी प्रकार के लॉकडाऊन में जी रहा। लोग अपने घरों में कैद है। जबकि नदियां, पर्वत, पशु, पक्षी सब आजाद है। प्रकृति सालों से हुये पर्यावरणीय दुष्प्रभावों से धीरे धीरे मुक्त हो रही। इन सबके बीच सबसे चिंता जनक जो बात है वह है आर्थिक कारोबार का ठप हो जाना। कपनियों के बंद होने के परिणाम स्वरूप लाखों लोग बेरेजगार हो चुके है। दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी भुखमरी और गरीबी के दुष्चक्र में फंस चुकी है। सभी देश इस महामारी के वक्त अपने अपने नागरिको के कल्याण के लिये कुछ न कुछ राहत पैकेज का एलान कर रहे।


20 LAKH CARORE PACKAAGE FOR MSME AND INDIA POOR
 प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी 


 इसी क्रम में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने कल राष्ट्र के नाम अपना उद्बोधन किया।दरअसल उनके उद्बोधन का मुख्य उद्देश्य था राहत पैकेज का एलान करना। उन्होने 20 लाख करोड़ का जो पैकेज ऐलान भी किया। पर अगर ध्यान से देखा जाय तो इस पैकेज मे भी कई झोल है। इस 20 लाख करोड़ के सरकारी पैकेज में लैंड (भूमि), लेबर (श्रम), लिक्विडिटी (तरलता), और लॉ (कानून) के लिये किये जा रहे प्रयास शामिल है।

यदि हम 20 लाख करोड़ के पैकेज पर विचार करें और इसे लेबर, लॉ, लिक्विडिटी और लैंड में अलग-अलग कर के देंखें तो हमे इस पैकेज की असलियत सामने दिखाई पड़ती है। यदि केवल लिक्विडिटी (तरलता) को ही ले लें तो हम पाते हैं कि विभिन्न मानेटरी प्रावधानों के तहत रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया ने अबतक लगभग 8 लाख करोड़ की लिक्विडिटी पहले से ही मार्केट में छोड़ रखी है। पर हालात ये है कि बाजार में लिक्विडिटी बढ़ने  पर भी आर्थिक प्रक्रियायों के ठप होने से बैकों से कोई लोन लेने वाला नहीं मिल रहा। क्यूंकि कंपनियों या लोगों के सामने प्रश्न यह है कि वे लोन लेके करेगें क्या? अर्थव्यवस्था में मांग अपने न्यूनतम स्तर पर है। बेरोजगारी भी 45 साल के सबसे निम्न स्तर पर है।

 आठ लाख करोड़ के अलावा सरकार लगभग 2 लाख करोड़ के राहत पैकेज पहले ही दे चुकी है। जिसमे 1.7 लाख करोड़ का पैकेज और कुछ कर प्रावधान शामिल है। यानी मोटा मोती देखा जाय तो इस 20 लाख के पैकेज का आधा हिस्सा तो पहले से ही घोषित हो चुका है।  इसके अलावा उम्मीद यही है कि आरबीआई 4 से 5 लाोख करोड़ का कर्ज छोटे और मझोले उद्योगों को देने के प्रयास करेगा। अर्थात 20 लाख करोड़ में से करीब 15 लाख करोड़ का तो काम हो गया। शेष बचे पैकेज राशि को सरकार उधारी से या अन्य कानूनी उपायों का सहारा लेकर पूरा करेगी।

यदि हम इस वक्त भारत सरकार के आर्थिक हालात को देखें तो यह भुखमरी और गरीबी के शिकार आम गरीबों जैसी ही है। अर्थ व्यवस्था में मंदी के लक्षण 2018 से ही दिखाई देने लगे थे जो अब जाके पूर्ण रूप से स्पष्ट हो चुका है।लॉकडाउन के कारण राजस्व आय में कमी आयी है और आने वाले एक साल में यह और कम होगी। बजट 2020-21 में सरकार ने 30 लाख करोड़ के व्यय का अनुमान किया है और उसकी अनुमानित राजस्व आय लगभग 22.5 लाख करोड़ की थी। यानी सरकार का बजट अनुमान के तहत 7.5 लाख करोड़ कर्ज लेने का लक्ष्य था। कोविड के कारण बदली परिस्थियों के परिणाम स्वरूप सरकार नें हाल ही में 7.5 लाख करोड़ की बजाय 12 लाख करोड़ का कर्ज लेने की घोषणा की है। जिससे सरकार अपने आय व्यय के अन्तर को पाटने का प्रयास करेगी।

SHRI ANURAG THAKUR ON RELIEF PACKAGE FOR CORONA
वित्त मंत्री और वित्त राज्यमंत्री 


 इसके अलावा राजस्व प्राप्ति हेतु सरकार ने वैश्विक तेल बाजार में क्रूड तेल के दाम गिरने के बाद पेट्रोल और डीजल पर टैक्स और बढ़ा दिये। सरकार को इससे लगभग साल में 4 लाख करोड़ की अतिरिक्त आय अर्जित होगी। पर तेल के दामों की वृद्धि के परिणाम स्वरूप मंहगाई बढ़ेगी जिसे आम आदमी को भुगतना पड़ेगा और तेल कंपनियों की बैलेंस शीट पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा। सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के तीन किश्त के मंहगाई भत्ते कैसिंल कर दिये जिससे उसे साल में लगभग 1.5 लाख करोड़ की राजस्व बचत होगी। इन सबके अलावा सरकार के पीएम केयर में भी मोटा मोटी 1 या 2 लाख करोड़ का दान मिल जायेगा जिसे वह 20 लाख के पैकेज में इस्तेमाल करेगी ।

सरकार के राजस्व स्रोत में मुख्य हैं निगम कर, आयकर और जीएसटी आदि। कोविड के कारण लंबे लॉकडाऊन से एक प्रकार से आर्थिक बंदी का दुष्प्रभाव इन सब करों के कलेक्शन पर दिखेगा। सरकार का राजकोषीय संतुलन बिगड़ने लगा है। कर्ज लेने के कारण भारत सरकार का राजकोषीय घाटा इस साल 7% से अधिक होने के आसार है। ऐसे में सरकार की आर्थिक हालात को देखते हुये यही अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार निवेश और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के भरोसे 20 लाख के पैकेज का लक्ष्य पूरा करेगी। 

अंततः यही कहा जा सकता कि  कोविद 19 के पहले से ही  नीचे गिरती भारतीय  अर्थव्यवस्था को इस बीमारी ने और भी गर्त  में धकेल दिया  है।  ऐसे आर्थिक हालत में सरकार से किसी प्रकार के संस्थागत सुधार या साहसी  कदम की आशा करना एक बेमानी होगा।  हां इतना जरूर है की सरकार रिजर्व बैंक आफ इण्डिया, निवेश, कर सुधार, श्रम सुधार और भूमि सुधार  कानूनों  के सहारे किसी तरीके से इस राहत पैकेज के लक्ष्य को पूरा कर लेगी।


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4 comments

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KBzBlog
admin
May 13, 2020 at 11:15 PM ×

आप को वित्त मंत्री होना चाहिये । इतना बड़ा अर्थशास्त्री अब आपके रूप में मिला है । भारत का सौभाग्य है । आपके के कुशल नेतृत्व में भारत सोने की चिड़िया भले न बन सके पीतल की चिड़िया तो बन ही जायेगा ।

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Hemant Pal
admin
May 13, 2020 at 11:20 PM ×

अच्छा पोस्ट। लेकिन एक बात समझ में नहीं आती इसे आर्थिक पैकेज क्यों कहा जा रहा है। जब से घोषणा हुई है कई लोग पूछ चुके इससे हमें क्या फायदा होगा। अप्रत्यक्ष रूप से उनका कहना है कि सरकार शायद उनके खाते में सीधे पैसे डालेगी। इसलिए सभी 20 लाख करोड़ में जनसंख्या के हिसाब से अपना हिस्सा गिन रहे है। अब हमको खुद ही नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर पैकेज काम कैसे करेगा तो हम क्या समझाए।
इसलिए अपने किसी पोस्ट में आप ही समझाइए की ये पैकेज का आखिर मतलब क्या है और सरकार इसका उपयोग कैसे करेगी।

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May 14, 2020 at 12:45 AM ×

काश ऐसा होता। पर आज के जमाने में वित्तमंत्री होने के लिये मायावी, लफ्पाज,कुचिल और भी कई सद्गुण होने चाहिये जो मेेरें में अभी नहीं है। वैसे हम माटी से जुड़े लोग हैं हिन्दुस्तान माटी का सबसे खूबसूरत हमारे लिये होगा

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May 14, 2020 at 12:51 AM ×

दरअसल राहत पैकेज दो प्रकार के होते। राजकोषीय और मौद्रिक
सरकार के अभी तक के 90% के आस पास के घोषित उपाय मौद्रिक है। यानी बैंक से या तरलता बढ़ा कर। इसे आप यूं समझ ले कि सरकार ने ये घोषणा कर दी उसका काम खतम। झेलेंगें बैक, एमएसएमई और कर्ज लेने वाले। अब सरकार की हालात प्लासी के युदिध के बाद की ईस्ट इंडिया कंपनी की है , RBI मीर जाफर,

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